Followers

Tuesday, August 28, 2007

बहन के प्रेमी को ट्रेक्टर से बांध मार डाला

गुजरात की यह घटना एक अपराध कथा से काफ़ी कुछ ज्यादा है. हिन्दी फ़िल्म की तर्ज पर है इसकी कथा. कुछ दिन पहले ही राजधानी गांधीनगर से लगभग १२५ किलोमीटर दूर एक गांव मे तीन भाईयों ने पुलिस स्टेशन के निकट ही बहन के प्रेमी को मार डाला. हिंदी फ़िल्म के एक सीन की तरह पूरे गांव के लोग यह सब कुछ देखते रहे. कोइ कुछ नही बोला. कोइ बचाने नही आया.
ट्रेक्टर से बांध इस युवक को घसीटा गया. जब वो बेहोश हो गया तब उसे छोड ये सब भाग गये. उसने पानी मांगा, किसी ने पानी भी नही दिया. अखिरकार कीचड के पानी को चुल्लु मे भरता हुआ यह युवक मर गया.हिंदी फ़िल्मों की तरह पुलिस कई घंटो के बाद आयी. पुलिस अफ़सर फ़ोन बंद कर बैठ गये.
उसका कसूर केवल इतना था कि उसने इनकी बहन से प्यार किया था. दोनो कुछ दिन के लिये लुप्त हो गये थे. एक दिन पहले ही वापिस आये थे. दोनो पटेल जाति के ही थे.ना जाति का फ़र्क ना ही कोइ और अंतर. बस पैसे की खाई.
इन भाईयों के लिये बहन उनकी जायजाद थी। गांव के लोगो के लिये बुरे लोगों के मूंह नही लगने वाली बात थी। सब देखते रहे कोइ कुछ नही बोला. अपने पुलिस वालों के लिये तो क्या कहिये.अखबारों मे बात उछलने से तीन दिन बाद पुलिस ने कुछ लोगो को पकडा है. पर क्या गांव के लोग गवाही देंगे? जो नामर्द बन पूरी घटना देखते रहे और उस युवक को प्यास से तडफ़ते देखते रहे, उनसे आप क्या आशा रखते है ? और पुलिस जो घटना के समय गायब हो गई उससे आप क्या आशा रखते हैं ? क्या वो इन भाई लोगों के विरुद्ध पक्का केस बनायेगी ?
और आप लोगों का हमारी संवेदनहीनता के बारे मे क्या मानना है ?

मोदी जी का गुजरात की छात्राओं को रक्षाबंधन उपहार

गुजरात में यह चुनावी वर्ष है। कांग्रेस और सत्तारुढ़ भाजपा दोनों ही उनके लोक लुभावने वचनों से गुजरात के मतदाता को पटाने में लगे हुए हैं।
साफ है अपने मोदी जी का हाथ उपर है। सत्ता में जो ठहरे। बेचारे कांग्रेसी तो यह कहते है कि सत्ता में आए तो यह देगें, वो देगें। मोदी जी तो कह देते हैं यह लो, वो लो। विधानसभा में बजट था इस वर्ष का। घोषणा कर डाली कि लो इतने हजार करोड़ अगले पांच साल के लिये। हम कभी अर्थशास्‍त्र के छात्र नही रहे, पर विधानसभा रिपोटिंग का एक ही गुर सीखा है। विधानसभा जो मंजूर हो वही खर्चा हो सकता है और वह भी उसी साल में। खैर अपने मोदी जी है। वे कुछ भी कर सकते है। फिर परिणाम भले ही शून्य हो!!
कन्या शिक्षा के बडे हिमायती है। नारी सम्मान उनकी एक प्रिय अभिव्यक्ति है। वैसे हमारे गुजरात में पिछले तीन महिनों में आधा दर्जन से अधिक महिलाएं निर्वस्‍त्र हो दौड़ लगाने की धमकी दे चुकी हैं।
शिक्षा मंत्री आनन्दीबहन पटेल तो हर साल प्रवेशोत्सव आयोजित करती हैं। हमारा गुजरात तो उत्सवों का प्रदेश है। मोदी जी ने यह नारा प्रख्यात कर दिया है।
मोदी पुराण इतना विशाल है कि कोइ भी रास्ता भटक जाता है। हम बात कर रहे थे रक्षाबंधन भेट की और पहुंच गये उत्सवों तक। मोदी जी के चक्कर में अच्छे अच्छे भटक जाते है।
मोदी जी ने घोषणा की है कि अब राज्य में पढ़ने वाली हर छात्रा राज्य की बस मे मुफ्त स्कूल कॉलेज जा सकेगी। माध्यमिक स्कूल से कॉलेज तक सभी छात्राओं को इस मुफ्त यात्रा का लाभ मिलेगा।
क्योंकि राज्य की बसें शहरों में नही चलती इसलिये गांव की छात्राओं को यह लाभ मिलेगा। फिर भी संख्या कम नहीं है।पूरे अढा़ई लाख।
देखा हमारे मोदी जी चुनावी वर्ष का तोहफा। एक कांग्रेसी बोला पिछ्ले चार वर्ष में क्यों नहीं किया। अरे भई अगर पहले यह कर देते तो वोट में कैसे भुनाते इसे। फिर चार वर्ष तक उनकी सरकर को यह बोझ उठाना पड़ता अब तो घोषणा कर दी आगे राम जाने।

Monday, August 27, 2007

अमेरीका से आए सी.के.पटेल

आजकल बरसात के मौसम के साथ चुनावी मौसम भी पूरे जोर शोर से है गुजरात में। तरह-तरह के नेता मीडिया के सामने आ रहे है। कुछ तो नेता हैं तो कुछ नेता बनने को छ्टपटा रहे हैं।
अपने कांग्रेसी सी.के.पटेल ने आज मीडिया से मुलाकात कर ली। अगले दो वर्षों के लिए नेशनल फेडेरेशन इन्डियन-अमेरिकन एसोशियेशन के लिए चुने गये हैं।
बोले भारत को न्युक्लीयर ट्रीटी कर लेनी चाहिए। अमरीका में रहने वाले भारतीयों का यहीं मानना है। बोले कि वे राष्ट्रीय हित में कह रहे हैं। कोई राजनीति नहीं है यह।
पटेल जी भले ही खुद को राजनीति से दूर रखने की बात करते हों, हकीकत यह है कि पटेल जी पिछले कुछ साल से भारत में छुटभैय्या बनने के चक्कर में है। अमरीका में भले हीं वे एन आर आई में तोप हों वहां की राजनीति में तो कुछ नहीं।
लोकसभा चुनाव में साबरकांठा की टिकट लेने की काफी कोशिश की थी। पर कपडा़ मंत्री शंकरसिंह वाघेला ने अपने मघुसुदन मिस्‍त्री को टिकट दिलवा उनका पत्ता कटवा दिया था।
अब विधानसभा चुनाव आ रहे हैं। अपने पटेल जी वापिस सक्रिय हो गये हैं। अब वे साबरकांठा की किसी विधानसभा टिकट के लिए सक्रिय हैं।
पिछली बार तो शंकरसिंह ने उनका पत्ता साफ किया था, इसलिए इस बार शायद अपने पटेल जी अपने न्युक्लीयर ट्रीटी के शस्‍त्र से सब बाधाएं पार कर कांग्रेस की टिकट पा जाए। आखिरकार कांग्रेस को भी साम्यवादियों से इस मुद्दे पर लड़ने के लिए शस्‍त्र चाहिए!
Post this story to: Del.icio.us | Digg | Reddit | Stumbleupon