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Wednesday, October 31, 2007

सरदार जयंति पर छोटे सरदार नदारद

पूरे गुजरात ने आज सरदार पटेल जयंति मनाई। जगह-जगह सरदार की प्रतिमाओं को फूल मालाएं चढाई। पर खुद को छोटे सरदार कहलवाने वाले अपने मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी इस बार इस मामले में काफी ठंडे रहे। उन्होंने गांधीनगर में एक कार्यक्रम में भाग ले उनका दायित्व पूरा किया।

मजेदार बात यह है कि सत्ता की बागडोर सम्भालने के बाद मोदी ने छोटे सरदार की छवि को तराशना शुरु किया था। उनके समर्थकों का कहना था कि जिस तरह सरदार ने जूनागढ के नवाब की छुट्टी कर दी थी उसी तरह मोदीजी ने गुजरात में मुसलमानों को सबक सिखा दिया है।

मोदीजी ने कांग्रेस द्वारा सरदार की उपेक्षा की भावना को भी खूब उकसाया। उन्होंने बडे ही व्यवस्थित रुप से यह जताना चाहा कि उनके लिये गांधी, नेहरु नहीं सरदार ही सच्चे देश के नेता थे।

पिछले साल तो सरदार पर दावा करने के लिये उनके जन्मस्थल करमसद में मोदी सरकार और कांग्रेस ने बडे कार्यक्रम कर डाले। कांग्रेस ने आज बडी रैली की। पर मोदीजी की सरकार और सत्तारुढ़ भाजपा ने इसे एक औपचारिकता का रुप दे दिया।

एक असंतुष्ट नेता ने कहा कि क्योकि असंतुष्टों ने उनकी संस्था का नाम सरदार पटेल उत्कर्ष समिति रखा है इसलिये शायद अब उन्हे सरदार शब्द से भी एलर्जी हो गई है !!!

खूब हींग लगाओ तब भी रंग न हो चोखा

अहमदाबाद स्थित कंज्यूमर एजूकेशन एंड रिसर्च सोसायटी ने हाल ही में देश में बिकने वाले हींग की जांच की थी। 17 ब्रांड के हींग में से 12 गुणवत्ता में खरे नही उतरे। उल्लेखनीय है कि अहमदाबाद की इस सोसायटी की प्रयोगशाला अंतरराष्ट्रीय स्तर की है। अब कभी भी हींग खरीदो तो सोच समझ कर खरीदना.
सोसायटी के अनुसार पावडर श्रेणी में 11 ब्रांड की जांच की गई जिसमें रामदेव प्रीमियम हींग ने सर्वाधिक 69 अंक प्राप्‍त किया था। जबकि दूसरे क्रमांक पर 59 अंको के साथ पार्थ ने तथा तीसरे स्थान पर 43 अंको के साथ बादशाह डीलक्स ने स्थान हांसिल किया है। सेमी सॉलिड श्रेणी में तीन ब्रांड की जांच की गई, जिसमें किसी को एक अंक भी नही मिला। सॉलिड श्रेणी में चार ब्रांडों की जांच में साइकिल ब्रांड को सर्वाधिक 56 अंक मिले। इसके अलावा ग्रेन्यूल श्रेणी में एकमात्र गोपाल ब्रांड की जांच में उसे 42 अंक मिले है। इन चार को ही खरीदने के लिए बेहतर माना है।
इन 17 बांडों में तीक्ष्णता की भी इनकी जांच की गई थी। जिसमें पावडर श्रेणी में रामदेव प्रीमियम की 9.1, पार्थ की ७.२ , बादशाह डीलक्स की 6.5, सॉलिड श्रेणी में लूज-2 ब्रांड की 11.5, लूज-1 की 9.5, साइकिल की 7.5, ग्रेन्यूल श्रेणी में गोपाल की 6.9 प्रतिशत तीक्ष्णता पाई गई।

अधिकतर मे वजन भी कम पाया गया।

Tuesday, October 30, 2007

गुजरात का बाबूभाई ऒलंपिक मे दौडेगा

गुजरात के बारे मे आम धारणा है कि यहां के लोग दाल चावल खने वाले है। फ़ौज मे लडना इनके बस की बात नही है...। पर अब अपने आदिवासी क्षॆत्र के बाबूभाइ ने यह सिद्ध कर दिया है कि यस सब गलत धारणाये है।

२९ साल के बाबूभाई फ़ौज मे हवलदार है। शाकाहारी है, पर फ़िर भी अंतर्राष्ट्रिय स्तर के रेस वाकर हैं। एक महिने मे ही दो बार राष्ट्रिय रेकोर्ड बनाये है अपने बाबूभाई ने। १घंटे २३ मिनट ४० सेकंड मे बाबूभाई २० कि.मी. चले। अपने बाबूभाई ने चार महिने मे उनका परिणाम पूरे सत्रह मिनट सुधारा!!!

उनका नया रेकोर्ड पिछले ऒलंपिक के तीसरे खिलाडी के काफ़ी नजदीक है। भारत मे वे स्टेडियम मे चक्कर काट कर २० कि.मी. चलते है, पर ऒलंपिक मे तो सडक पर चलना होता है। साफ़ है कि उनका रेकोर्ड और सुधरेगा। और जिस तरह उन्होने चार महिने मे उनका परिणाम पूरे सत्रह मिनट सुधारा उससे साफ़ है कि अगले आठ महिने मे इसमे भी सुधार आयेगा। अपना बाबूभाई बेजिंग मे जरूर रंग दिखलायेगा।

जरूरत है कि क्रिकेट के खिलाडियों की तरह लोग अपने बाबूभाई को कहेंगे, चक दे इंडिया ऒलंपिक मे

Monday, October 29, 2007

मोदी जी के मौत के सौदागर

अभी कुछ देर पहले ही अपने मोदीजी का इंटरव्यू सहारा चैनल पर देखा। लगा कि मोदीजी से पहले तो सभी मुख्यमंत्री घसियारे थे। अपने मोदीजी तो विकास पुरूष है। पूरा गुजारात उनका परिवार है। I love Gujarat ही दिख रहा था।

अपने इंटरव्यू लेने वाले प्रसूनभाई की अपने भाई के साथ उनकी दाढी के अलावा और भी कई समानताये देखने को मिली। अपने गुजरात के साढे पांच करोड के एक मात्र भाई नरेन्द्र भाई की तरह वे भी काफ़ी विकास केद्रित लगे। इंटरव्यू मे वे मोदीजी के विकासशील पहलू को उभारने मे उनकी पत्रकारिता की सभी दक्षताऒ को लगा रहे थे। सही बात है कि इंटरव्यू लेने वाले को सामने वाले के अच्छे पहलू उभारने चाहिये.

और अपने मोदीजी भी शांति से हर बात का उनके अपने अंदाज मे जवाब दे रहे थे। लगता नही था कि मोदीजी कभी किसी पत्रकार से बदसलूकी कर सकते है। चेहरे पर एक मुस्कान, होठो पर प्रजा को समर्पण के बोल। जरूर राजदीप बडा बदतमीज आदमी होगा जो अपने मोदीजी को गुस्सा आ गया। करण थापर ने जरूर बद्सलूकी की होगी जो अपने शांत और सौम्य मोदीजी इंटरव्यू छोड चले गये होंगे।

प्रसूनजी ने भी विवादास्पद सवाल किया। आखीर यह इंटरव्यू असली था। उन्होने पूछा २००२ के दंगो का क्या? मोदीजी ने बताया कि उसके बाद चुनाव भी हुए और वो जीत कर आये। और फ़िर मोदीजी शुरू हो गये "मै मौत के सौदागरों को नही छोडूंगा"। प्रसून ने अंग्रेजी स्कूल के अच्छे छात्र की तरह हिंदी मे सवाल किया। फ़र्जी मुठभेड का क्या? पर मोदीजी तो बोलते ही रहे। "मै मौत के सौदागरों को नही छोडूंगा"। कई बार दोहरया। प्रसून्जी भक्ति भाव से उनके विकास पुरूष के सुनते रहे। चुपचाप अच्छे बच्चे की तरह।



राम जाने मोदीजी के मौत के सौदागर कौन हैं!!!!!!!

बेशरमी का तहलका

गुजरात मे आजकाल तहलका मचा हुआ है। हालांकि पूरी दुनिया मे इस तहलका की चर्चा है, गुजरात मे तो लोग इसे महसूस कर रहे है। आशंका प्रेरित भय लोगो के दिलो मे घर करता जा रहा है। लोगो मे एक प्रकार का डर बैठ गया है कि ना जाने क्या हो जायेगा? पुराने दिनो की यादे ताजा करवा रहे हैं ये भयावह द्र्श्य। दिल्ली या अमरीका मे बैठ किसी को इसका ख्याल नही आ सकता।

इसका एक कारण यह है कि पिछले छह वर्षो मे मोदी ने उसकी एक छाप खडी की है कि वो आज का चाणक्य है और वो ध्येय प्राप्ति के लिये कुछ भी करवा सकता है। मुख्य मंत्री मोदी के चाणक्य होने पर विवाद हो सकता है, पर उसकी कुछ भी कर्वा सकने कि क्षमता को उसके विरोधी भी मानते है। उसके समर्थक तो उसकी इस क्षमता का ढोल पीटते ही है। यह छाप गुजरात के लोगो मे दहशत फ़ैला रही है।

भाजपा और कांग्रेस दोनो ही लोगो के इस भय को महसूस कर रहे हैं। पर दोनो ही इस आग मे अपनी वोट की रोटी सेकने मे लगे हुए है। कांग्रेसी इस मुद्दे पर चुप्पी साध कर बैठी है। भाजपाईयो के निवेदन तो लोगो की आशंका को सही साबित कर्ने पर उतरे हुए हैं। प्रदेश प्रवक्ता रूपाणी का तो कहना है कि ट्रेन मे आग लगाने वालों का आपरेशन क्यों नही ? अब आप इसका क्या अर्थ लगायेंगे? हमने तो किया पर औरों का क्या?

उधर तीस्ता सेतल्वाड सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रही है कि तहलका को एक सबूत के रूप मे लिया जाना चाहिये।

पर क्या किसी ने आम आदमी की दहशत का सोचा है? क्या किसी ने यह मांग की है कि इसका प्रसारण बंद किया जाये जनता के हित मे। कार्यक्रम के टेव मंगा आगे की कार्यवाही की जा सकती है।

Sunday, October 28, 2007

गुजरात मे चुनावी माहौल

दिसम्बर मे गुजरात मे विधान सभा चुनाव होने जा रहें है. आजकल राजनीतिक दलों के कार्यालयो पर टिकट लेने वालों के टोले इकठ्ठे हो रहे हैं.वर्षो बाद कई चेहरे दिखलाई दे रहे हैं.आखिर टिकट की लाटरी की बात जो ठहरी. राजनीति का चस्का ऎसा है कि एक बार लग गया तो उसका रंग छूटता ही नही. उम्र नहि ख्वाहिश जवान रहनी चाहिये.
भाजपा के स्टार प्रचारक अपने मुख्यमंत्री मोदीजी ही है. कांग्रेस के युवा नेता सुबह हेलिकोप्टर ले गुजरात की हवाऒं को रोंदने निकल जाते है. अभी से यह हाल है, कि नेता ही नही उनसे जुडे कार्यकर्ता भी मुश्किल से सो पाते हैं.
पिछले दो दिनों मे कांग्रेस ने २२०० कार्यकर्ताओं को सुना. सभी को टिकट चाहिये. सभी को लगता है कि इस बार तो कांग्रेस सत्ता मे आ ही जायेगी. १८२ बैठको के लिये २३०० उम्मीदवार !! इससे बडा उत्साह वर्धक समाचार और क्या हो सकता है अपने कांग्रेसी नेताओ के लिये.
अपने भाजपाईयो के यहा मामला कुछ अलग है. सबका मानना है कि टिकट तो उसी को मिलेगा, जिसे अपने नरेन्द्र भाई देना चाहेंगे. चंद लोगो को ही मोदीजी की उनकी चाहत के बारे मे मालूम पडा है. वैसे भाजपा के कूंचे पर भी भीड़ जमी रहती है. वहां भी सैकडों की सुनवाई हो चुकी है.
इस बार चुनाव का माहौल एक साल पहले ही शुरू हो गया है. अभी तो ४५ से अधिक दिन बाकी है.देखें आगे आगे क्या होता है....
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