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Thursday, May 1, 2008

साबरमती जेल, मुठभेडिया पुलिस वालों का अखाडा

साबरमती जेल के सुरक्षाकर्मी आजकल काफी परेशान हैं। आए दिन जेल में दंगल हो जाता है। सामान्य कैदी हो तो धुलाई कर बैरक में डाल दे। पर ये सब ठहरे दिग्गज पुलिस वाले।

इन्हें कानून बखूबी मालूम है। गोली मार मुठभेड बताने में माहिर हैं। साफ है कि, इनसे निपटना किसी के बस की बात नहीं। कुछ महिने पहले कुछ पुलिसवालों ने दिग्गज वणजारा और पांडियन को हथकडी पहनाने की कोशिश की थी। बता दी कानून की किताब। कर दी अर्जी अदालत में। सुप्रीम कोर्ट के फैंसले से ले मानवाधिकार सभी कुछ पढा दिया। जीत गये। अदालत ने कह दिया, हथकडी नहीं। आरोप सिध्ध नहीं हुआ। इज्जतदार हैं!
इस हफ्ते सोहराबुद्दीन कांड के ये नायक वणजारा और नरेन्द्र अमीन गुत्थमगुथ्था हो गये। आई पी एस अधिकारी एक दूसरे पर ही टूट पडे क्योंकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी!
गुस्सा किस पर उतारते। और कैदी मिलकर उनकी धुलाई कर देते। हां, बाहर होते तो सोहराबुद्दीन जैसे एक दो को उडा गुस्सा ठंडा कर लेते। एकाद तमगा भी वर्दी पर लगवा देते।
कल दो और सब इंस्पेक्टरों में लठठम लठ्ठ हो गई। ये दोनों भी फर्जी मुठभेड के चक्कर में जेल में हैं। गुस्से में एक आई पी एस ने मुर्गे की रान चबाने के अंदाज में बैडमिंटन रैकेट के तार ही फाड डाले। आम किस्से में कैदियों को दूसरी जेल में भेज देते हैं। पर इन्हें कही भी भेजें तेवर तो पुलिसिया ही रहेंगें।

मोदी जी ने मीडिया की पैरवी की !

मोदी जी तो मोदी जी हैं। कब क्या करें, कब क्या बोलें कोई कह नहीं सकता। शायद मोदी जी खुद भी नहीं।
हाल ही में दिल्ली में जब उनके चाहकों ने जब टीवी पत्रकारों की धज्जीयां उडाई थी तब वे इस प्रकार बैठे रहे जैसे उन्हें इससे कोई सम्बन्ध ही नहीं! उनके आयोजकों ने उनका सम्मान कार्यक्रम किया था। पत्र्कारों को न्यौता दे, उन्हे बेआबरु कर कूचे से निकल जाने को भी कहा।
पर उसके दो दिन बाद तो मोदी जी ने उनके पत्रकार प्रेम से अहमदाबाद के पत्रकारों कों अचम्भित ही कर दिया। उड्डयन मंत्री प्रफुल पटेल प्रेस कांफ्रेन्स शुरु हुई ही थी कि मोदी जी ने कहा कि, गुजरात के पत्रकारों की ओर से वे कुछ कहना चाहते हैं।
प्रफुल पटेल को भी आश्चर्य तो जरुर हुआ होगा। पर ठहरे राजनीति के मंझे खिलाडी भृकुटी तो छोडों, चेहेरे पर भी शिकन न आने दी। खैर अपने मोदीजी ने कहा कि, अहमदाबाद- लंदन सीधी उडान के अवसर पर पत्रकारों की इच्छा थी कि उन्हें उद्‍धाटन उडान में ले जाया जाये। पर उस वर्ष चुनाव के कारण यह नहीं हो सका। हालांकि एन डी ए सरकार थी, वे बोले।
प्रफुल जी हमारे पत्रकारों की टोली को आप लंदन घुमा लाओ। पटेलजी ने भी मोदी जी की बम्पर को मुंडी नीचे कर टाल दिया। मजेदार बात तो यह है कि, पिछले चार वर्षों में मोदीजी प्रफुल जी के साथ कई बार मंचस्थ हो चुके हैं।
मोदीजी को पत्रकार वापिस याद आये, वह भी चुनावी वर्ष में ! मोदीजी हैं। कभी भी कुछ भी कर सकते हैं !!!

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