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Friday, October 2, 2009

गाँधी के नाम पर नया धंधा

गाँधी के नाम पर धंधा कोई नई बात नही हैं । बरसों से बहुत से कांग्रेस के नेता यही करते आए हैं । गांधी देश के हैं, शायद उससे ज्यादह कांग्रेस के हैं । अगर कोई भाजपाई नेता गांधी की बात करे तो यह न तो भाजपा वालो के गले उतरता है और न ही कांग्रेसी इस बात कोट सहज भाव से ले पाते हैं ।
खैर इस बाज़ार प्रेरित अर्थव्यवस्था में तो कोई भी वस्तु, कोई भी घटना माल बेचने के काम आ सकती है । गाँधी इसमे कोई अपवाद नही हैं । गाँधी जयंती के अवसर पर लोगो ने तरह तरह के माल गाँधी के नाम पर बेचे । यह बात अलग है अगर गंध जिंदा होते तो शायद वे इस प्रकार की वस्तुओं का जम कर विरोध कर रहे होते यार फ़िर उन्होंने इसके विरुद्ध अभियान भी छेड़ दिया होता ।
जर्मनी की प्रख्यात पैन बनाने वाली कम्पनी ने गांधी कलेक्शन निकाला । बारह लाख का पैन गाँधी के नाम ।
कम्पनी ने हर प्रकार की बाजारी तैय्यारी कर काफी ढोल बाजे के साथ पैन की घोषणा भी की । पहले ही दिन लाखों के पैन बिक गए । कम्पनी का कहना है कि वह इसका एक हिस्सा एक गांधी संस्था के माध्यम से समाज विकास के लिए खर्च भी करेगी । इसे आप गाँधी नाम की रोयल्टी या कमाई में गाँधी को कमीशन कुछ भी कह सकते हैं ।
अहमदाबाद के एक बड़े होटल ने गाँधी जयंती की पूर्व संध्या पर घोषणा की कि वो सूरत में सम्पूर्ण शाकाहारी पाँच सितारा होटल शुरू करने जा रहा है। होटल का मालिक जो इस सप्ताह अमिताभ बच्चन के थीम पर खाने का आयोजन कर रहा है उसने अपने गांधीजी की खूब तारीफ की। पत्रकारों को बताया कि वो किस कदर शाकाहारी है। अब सोचिये क्या गाँधी पाँच सितारा होटल में खाना खाने जाते। क्या इस प्रकार का भोजन मोह उन्हें आकर्षित करता ?
पर भैय्ये ये दुनिया एक बाज़ार है, माल बेचने वाला चाहिए खरीदार तो मिल ही जाएगा । बोलो बाज़ार संस्कृति की जय ।

Thursday, October 1, 2009

मोदीजी ने फ़िर सुर्रा छोड़ा

अपने गुजरात के मुख्या मंत्री का विवाद जगाने में कोई सानी नही है । यदि कभी वो विवाद में न हो तो सभी को कुछ अजीब सा लगता है । कुछ दिन पहले , जसवंत की किताब को ले पूरे हिंदुस्तान में हल्ला मचवा दिया । मामला हाई कोर्ट में पंहुचा , तब भी अडे रहे की छोडूंगा नही । जसवंत की जिन्ना वाली किताब को गुजरात में घुसने नही दूँगा । खैर उनके आला अधिकारियो ने कोर्ट की लताड़ देखते हुए किसी तरह मोदीजी को मनाया कि वो जसवंत और जिन्ना को उनके हाल पर छोड़ दे ।
आज तो उन्होंने कमाल कर दिया। सरदार पटेल के एक कार्यक्रम में गालिब की मशहूर ग़ज़ल के अंदाज में शुरू हो गए कि अगर सरदार प्रधान मंत्री होते तो क्या होता । कश्मीर हमारा होता और उग्रवादियों का नामो निशाँ नही होता । मंच पर बैठी राष्ट्रपति भी क्या बोले । बात बात पर मोदीजी से मंच पंगा लेने वाले दिनशा पटेल भी सुन्न हो गए । राष्ट्रपति वहाँ नही होती तो शायद उन्होंने मोदीजी को वाक् युद्ध के रिंग में जकड लिया होता ।
पर अपने मोदीजी को किसी की कोई परवाह कहाँ ? वो तो अपनी धुन के राजा है । उनकी धुन विवाद की धुन है ।
अभी तक गांधीनगर में बैठ अपने मोदीजी मुशर्रफ़ और बुश को ललकारते थे । साफ़ है कि वो जवाब नही देते थे और अपने मोदीजी के चाहक ढोल पीट पीट कहते थे कि देखा मोदीजी का जलवा !!
अब अमेरिका और पाकिस्तान समाचारों में नही है तो मोदीजी के एजेंडा में नही है। आजकाल मीडिया में है चीन । और कहने की बात नही कि अपने मोदीजी ने निशाना तान दिया चीन पर । पर उनके ख़ास अंदाज में । बोले कि सरदार ने नेहरू को चीन से चेताया था । आगे मोदीजी ज्यादह नही बोले । पूरी कांग्रेस लग गई बचाव काम में । सोनियाजी भी मैदान में उतर आयी ।
टेलिविज़न चैनल वाले अपने भाइयो को उनकी तोड़ मरोड़ शेली में स्टोरी का नया विषय मिल गया । मोदीजी फ़िर छा गए समाचारों में ....
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