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Friday, December 31, 2010

गुजरात की जान बचाने वाली १०८ सर्विस

आज देश के कई राज्यों में १०८ की सेवायें हैं। पर यदि गुजरात की १०८सेवा को देखे तो वह श्रेष्ठ है। सवा तीन साल में इसने ८५,७२९ लोगो की जाने बचाई हैं। इस सेवा के सी ओ ओ सुबोध सत्यवादी का कहना है कि ये वो लोग हैं जिनकी स्तिथिवास्तव में काफी नाजुक थी। इस काल में इस सेवा ने कुल १९,३४,४४१ आपात स्तिथियों को निपटाया है।
इसके आंकड़े काफी रसप्रद जानकारी देते हैं।एक तिहाई किस्सों में प्रसव सम्बन्धी आपात कॉल इसे मिले। १६,००० से अधिक किस्सों में तो इस सेवा की एम्बुलेंस में ही प्रसुताओं ने बालक को एम्बुलेंस में ही जन्म दिया। ६,३७,१०७ कॉल प्रसुताओं के परिवार से मिले हैं इसे। गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री जयनारायण व्यास का कहना है कि प्रसव आपात में आप १०८ की एम्बुलेंस का उपयोग करें क्योकि इसमें आपकी सहायत के लिए चिकित्सा सुविधा है जो आपकी कार में नहीं मिल सकती।
गुजरात के किस्से में यह सेवा अगस्त २००७ में केवल १५ एम्बुलेंस से शुरू हुई थी। अहमदाबाद और गांधीनगर में ही थी यह सेवा। आज ४५३ एम्बुलेंस के द्वारा गुजरात के सभी २६ जिल्लों में ५.०५ करोड़ लोगो को यह सेवा उपलब्ध है। रोड एक्सिडेंट में भी यह काफी प्रभावी रही है। गुजरात में सड़क दुर्घटनाओं का प्रमाण काफी है। अब १०८ सेवा ने अधिक दुर्घटना वाले क्षेत्रो में और अधिक प्रभावी सेवा के कदम उठाने शुरू किये हैं।
जंगली प्रदेशों में सर्प दंश एक बहुत बड़ी समस्या है। वहां डॉक्टर भी आसानी से नहीं मिलते हैं। ऐसे में १०८ सेवा ही एकमात्र सहारा है। परिणाम स्वरुप इन तीन सालों में ७००० सर्प दंश के किस्सों में लोगो ने इस सेवा की सहायत ली है। सभी किस्सों में लोगो की जान बची है और जल्दी चिकित्सा सहायता मिलने के कारण लोगो को तकलीफ भी कम हुई है।
आप १०८ डायल कर आपात स्तिथी की जानकारी दें और अधिकतम १५-२० मिनट में घटना स्थल पर आप १०८ को पायेंगे। यह केवल चिकित्सा सुविधा के लिए ही नहीं हैं। आप पुलिस सहायता पा सकते है। आग लगने की घटना में आप को अग्निशमन की मदद तुरंत मिल सकती है। इसकी एम्बुलेंस में हॉस्पिटल पहुँचने तक में आपकी जरूरी जांच भी हो जाती है। अब गुजरात सरकार इन एम्बुलेंस में ब्रेन स्केनर लगाने जा रही है क्योकि सड़क दुर्घटनाओं में मस्तिष्क को चोट लगने की घटनाएँ काफी होती हैं।
आज जब सभी राज्यों में डाक्टरों की काफी कमी है तब यह सेवा एक वरदान सिद्ध हो रही है।

Thursday, September 16, 2010

गुजरात में चुनावी मौसम

गुजरात में चुनावी मौसम आ गया है। पहले छः नगर निगमों के चुनावों की घोषणा हुआ थी और अब २४ जिला पंचायतों और अन्य स्थानिक स्वराज संस्थाओं के चुनावों की घोषणा हो गई है। नगर निगमों के चुनाव १० ओक्टोबर को होंगो और अन्य चुनाव २१ ओक्टोबर को।

नगर निगम के चुनावों की तारीख की तो अपेक्षा थी, पर पंचायत, तहसील और अन्य संस्थाओं के चुनाव थोड़े दूर थे। लगभग दो महीने पहले होंगे ये चुनाव। पिछले हफ्ते से हे कांग्रेस, भाजपा और अन्य दलों के मुख्यालयों पर टिकट मांगने वालों की लाइन लगनी शुरू हो गई थी। अब तो जिला जिला यही हाल होगा। केवल दो जिला पंचायतों और दो नगर निगमों को छोड़ सभी जगह चुनाव होने वाला है।

एक तरह से कहा जाय तो यह मोदी सरकार के लिए मध्याविधि चुनाव है। आज १७ सितम्बर को मोदीजी का जन्मदिन है। हमारे ज्योतिष प्रेमी मित्र इस काम में लगे हैं कि देखे ग्रहों की चाल मोदीजी को कहाँ ले जाती है। मोदीजी पिछले १० वर्षों से गुजरात की कुर्सी को इस बखूबी से पकडे हुआ हैं कि कोई उन्हें तो हटा नहीं पाया । हाँ अच्छे अच्छे दिग्गजों के राजनीतिक सितारे जरूर गर्दिश में आ गए।

शायद मोदीजी से ज्यादह अपने ये मित्र ज्योतिषियों के पास जाते हैं कि मोदीजी से कब छुटकारा मिलेगा! आज तक कोई भी ज्योतिषी मोदीजी के बारे सही नहीं निकला है । ज्यदाह्तर का कहना है कि सही समाया ही नहीं मालूम उन्हें। कुछ मित्र गुजरात की स्थापना के आधार पर मोदीजी का भविष्य जानने की कोशिस करते है। पर यह सब बंद कमरों में। किसकी हिम्मत है कि खुले में मोदीजी का भविष्य बता सके।

खैर अब सभी कक्काजी बन्ने का सपना ले पार्टियों के आला कमानों के चक्कर काट रहे हैं। दे दे बाबा देदे इस बार तो टिकट दे दे ।

जिस तरह से सोहराबुद्दीन मामले पर राजनीति हो रही है और सी बी आई की धुलाई हो रही है अपने भाजपाई मित्रो का मानना है कि मोदी का जादू इस बार भी चलेगा। यह तो मानना पडेगा कि अपने मोदीजी को चुनाव के समय मुद्दे खोजने नहीं जाना पड़ता। पिच्च्ले चुनावों में मौत की सौदागर का नारा उनके काम आया ठाट तो इस बार सोहराबुद्दीन हाजिर है। देखे चुनाव क्या रंग लाते हैं।

सोहराबुद्दीन कार्ड काम करता है या परिवर्तन का नियम। दीपावली से गुजराती नया वर्ष शुरू होता है। देखे यह नया वर्ष किसे कहा ले जाता है।

मोदीजी का बलून

पिछले हफ्ते हमारे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदीजी ने देश का पहला बलून उड़ा एक इतिहास रचा था। यह हम नहीं कहते है। अहमदाबाद मगर निगम और सरकारी प्रचार माध्यम कहते हैं । मोदीजी ने इस हीलियम बलून में उड़ कर अहमदाबाद की हवाई तस्वीरें भी खीची थी। और घोषणा भी की थी कि बच्चों को सुबह के समय रियायती दर पर बलून की सैर कराई जायेगी।
पर उस पहली उड़ान के बाद आज तक बलून उड़ा ही नहीं। कारण यह है कि नियमित उड़ान के लिए जरूरी व्यवस्था ही नहीं बनी थी। तब फिर हमारे लोकप्रिय मुख्यमंत्रीजी ने उड़ान भरने का खतरा क्यों उठाया ? अगले दिन नगरनिगम के चुनावों की घोषणा होनी वाली थी। साथ ही आचार संहिता लग जाने वाली थी। फोटो के साथ प्रचार माध्यमो में छा जाने का एक अवसर चला जाता !
अब ये बलून उड़ेगा भी या नहीं? अपने नगर निगम के आल्ला अफसर जन समस्याओं को टालने के जितने मौलिक तरीके जानते हैं उतने ही वो काम करने के तरीको से भी वाकिफ हैं। और जब बात मुख्यमंत्रीजी की हो तो रचनाशीलता का क्या कहना। अपने भाई लोगो का कहना है कि बलून कल से उड़ान भरेगा । इस कल का भी राज है। कल यानी सितम्बर १७ को हमारे मुख्यमंत्रीजी का जन्मदिन है।
देखा मुख्यमंत्रीजी ने बलून उड़ाया और जन्मदिन के दिन लोगो को उड़ाने को दिया ! बलून है । उड़ेगा। मोदीजी को प्रचार की नई उचाईयों तक ले जाएगा।

Wednesday, May 5, 2010

हमारे गुजराती केतन भाई

आजकल अपने स्वर्णिम गुजरात का नाम काफी चमक रहा है। एक तरफ मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदीजी उनकी मार्केटिंग प्रतिभा का पूरा उपयोग कर दुनिया को गुजरात की नंबर वन खासियते बता रहे है तो दूसरी ऑर नंबर वन गोटाले खुद ही बाहर आ रहे है। पर हमें तो केवल पोजीटिव ही देखना चाहिए, पोजीटिव ही सोचना चाहिए। पर क्या करे जब कोई चीज हथोडो की तरह हर पल हर क्षण दिमाग पर लग रही हो तो उसे तो नज़रंदाज़ कैसे किया जा सकता है ।
अब अपने मेडिकल कौंसिल वाले केतन देसाई को ही लो। करोडो अरबो रुपियो का गोटाला बाहर आ रहा है। किस तरह कोलेजो को मान्यता मिलाती थी, डिग्रिया बंटती थी । सब रोज अखबारों में आ रहा है। डाक्टरी जैसे पेशे को कैसे जड़ो में ही धंधा बनाया गया है उसकी जानकारी बाहर आ रही है। पर एक बात और नजर आ रही है। वो है गुजरात में केतन भाई के मुद्दे पर कही कोई राजनीतिक हलचल नहीं। बात बात पर केंद्र की खाट खडी कर देने वाले अपने साडे पांच करोड़ गुजरातियों के जन सेवक प्रतिनिधी नरेन्द्र मोदीजी मौन साधे हुए है। वो पत्रकारों से मिलते नहीं और अगर मिले तब भी किस की हिम्मत है की उनसे ऐसा सवाल पूछे ।
एक दो पत्रकारों ने सरकारी प्रवक्ता स्वास्थ्य मंत्री जय नारायण व्यास से जब पूछा तब उन्होंने सामने से सवाल किया । तुम क्या चाहते हो ? गुजरात का हित या अहित। कोई उनसे कैसे पूछे की केतन देसाई के बारे में प्रश्न से गुजरात का हित या अहित कैसे जुडा हुआ है। हां यह जरूर है की शायद स्वास्थ्य मंत्री व्यासजी का हित अहित हो सकता है।
उधर बात बात पर निवेदन ठोक देने वाले अपने कांग्रेसी भाई भी चुप है।
आखिरकार को अपने केतन भाई गुजराती है!

Sunday, May 2, 2010

मोदीजी का दुनिया को शेरों का नजराना

अपने मोदीजी आज काफी प्रसन्न है। उन्होंने आज दुनिया को एक नया तोहफा दिया है । एशिआई शेरों का तोहफा। स्वर्णिम गुजरात के औपचारिक कार्यक्रम के अगले दिवस ही उन्होंने घोषणा की कि गुजरात में शेरों की संख्या काफी बढ़ गई है। दुनिया में एशिआई शेर अब केवल गुजरात में ही मिलते है । १८८२ के बाद देश के किसी भी हिस्से में एशिआई शेर नहीं पाया जाता है ।
मोदीजी ने आज सुबह पत्रकार परिषद् बुलाई और पत्रकारों को यह जानकारी दी । वैसे तो मोदीजी आजकल अधिकतर पत्रकारों से मिलना टालते है , पर ये तो सरो की बात है इसलिए वे खुद पत्रकारों से मिले। पांच वर्ष पहले भी मोदीजी ने शेरों के बारे में जानकारी दी थी । शेरों की गिनती पांच वर्ष में एक बार होती है।
जाहिर है कि एशिआई शेर गुजरात की एक पहचान है । आज जब मोदीजी स्वय के गुजरात बताते है तो जाहिर है कि वे शेरों की बात करने से कैसे चूकेंगे । उन्होंने बताया कि आज तक इतने अधिक शेर नहीं बढे थे। पूरे १३ प्रतिशत की वृध्धि । आज तक का रिकॉर्ड । आज जब वन्य प्राणी दुनिया में कम हो रहे है, गुजरात के शेरों की संख्या में वृध्धि गुजरात की सफलता की अलग पहचान है।
उन्होंने काफी दिलचस्प जानकारी दी । बताया भारत की जनसंख्या की तरह , शेरों में भी युवा अधिक है । लगभग ४० प्रतिशत । एक शेर और १.६७ शेरनी के अनुपात के साथ शेर हमें हमारे समाज में स्त्रियों की संख्या बढाने का सबक सिखलाते है , उन्होंने कहा। उनके ४० करोड़ के प्लान के कारण बच्चे शेरों की मृत्यु में काफी गिरावट आई है। पहले प्रति वर्ष लगभग १० बच्चे कुए में गिर कर मर जाते थे , गत वर्ष केवल एक शेर बालक की ही मृत्यु हुई।
शेरनियो की संख्या के कारण शेरनी सशक्तिकरण काफी हुआ है। अब शेरनिया शेरों को बालक शेर नहीं मारने देती उन्होंने कहा। देखा शेर और मानव जीवन में कितना साम्य है ! पत्रकारों को जानकारी दे बोले शेर दिल बनो और शेरों के बारे में लिखो। मित्रो मोदीजी की शेर कथा यहाँ प्रस्तुत है।

Saturday, May 1, 2010

स्वर्णिम गुजरात और स्वर्णिम प्रचार

स्वर्णिम गुजरात और स्वर्णिम प्रचार
हालाकि स्वर्णिम गुजरात का बैंड काफी समय से बज रहा है , स्वर्णिम कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत आज मई १ से शुरू हुई । सुबह से ही लग रहा है कि आज गुजरात की पचासवी वर्षगाँठ है । अंग्रेज़ी और गुजराती अखबारो के विज्ञापन परिशिष्ट तरह तरह के विज्ञापनों से भरे हुए है। वैसे पिछले दो दिनों से अहमदाबाद और अन्य शहरों में सरकारी भवन और होटल आदि रौशनी से जगमगा रहे है। लोगो की भीड़ इस सरकारी रौशनी से मुफ्त मनोरंजन के लिए उमड़ उमड़ कर आ रही है।
इन विज्ञापनों की एक विशेषता है। एक और हमारे मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदीजी का फोटो है तो दूसरी ओर विज्ञापनदाता संस्था के मुखिया का। जन भागीदारी यानी कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप का इससे अच्छा उदहारण और क्या हो सकता है! मोदीजी सही तो कहते हैं। गुजरात का विकास सभी के योगदान से है। मोदीजी के शासन में आने के बाद गुजरात मार्केटिंग के विभिन्न लाइव मॉडल की प्रयोगशाला बन गया है। हमारे और आपके पैसे पर प्रयोग। जब हम दूसरो के पैसों पर प्रयोग करते हैं तब हम किसी भी नुक्सान के भय के बिना अपनी पूरी शक्तियों का उपयोग कर सकते हैं। कुछ नेगेटिव सोच वाले मित्र इसे किसके बाप की दिवाली जैसे अभद्र शब्द प्रयोग से अलंकृत करते हैं। यह बहुत गलत बात है। अगर मोदीजी और उनके समर्थक उन्हें गुजरात विरोधी कहते है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। मोदीजी के आने के बाद हरेक गुजरात वासी का जीवन गुजरातमय हो गया है। हम सभी लोग सभी कुछ गुजरात राष्ट्र के लिए ही करते है। हा जी , मोदिजी के सत्ता मे आने के बाद गुजरा राज्य नही पर एक राष्ट्र बन गया है।
अब अपने सांसद हरिन पाठकजी को ही लीजिये। आज के सभी मुख्य समाचार पत्र उनके विज्ञापन से भरे हुए हैं। अपने पाठकजी वैसे तो छोटी से छोटी बात के लिए प्रेस नोट दाग देने के लिए मशहूर हैं, पर इस बार उन्होंने उनके विश्वस्त राजू शेठ को ये काम नहीं सौंप कर मोदीजी का अनुकरण किया और अपने मित्र
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