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Saturday, May 1, 2010

स्वर्णिम गुजरात और स्वर्णिम प्रचार

स्वर्णिम गुजरात और स्वर्णिम प्रचार
हालाकि स्वर्णिम गुजरात का बैंड काफी समय से बज रहा है , स्वर्णिम कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत आज मई १ से शुरू हुई । सुबह से ही लग रहा है कि आज गुजरात की पचासवी वर्षगाँठ है । अंग्रेज़ी और गुजराती अखबारो के विज्ञापन परिशिष्ट तरह तरह के विज्ञापनों से भरे हुए है। वैसे पिछले दो दिनों से अहमदाबाद और अन्य शहरों में सरकारी भवन और होटल आदि रौशनी से जगमगा रहे है। लोगो की भीड़ इस सरकारी रौशनी से मुफ्त मनोरंजन के लिए उमड़ उमड़ कर आ रही है।
इन विज्ञापनों की एक विशेषता है। एक और हमारे मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदीजी का फोटो है तो दूसरी ओर विज्ञापनदाता संस्था के मुखिया का। जन भागीदारी यानी कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप का इससे अच्छा उदहारण और क्या हो सकता है! मोदीजी सही तो कहते हैं। गुजरात का विकास सभी के योगदान से है। मोदीजी के शासन में आने के बाद गुजरात मार्केटिंग के विभिन्न लाइव मॉडल की प्रयोगशाला बन गया है। हमारे और आपके पैसे पर प्रयोग। जब हम दूसरो के पैसों पर प्रयोग करते हैं तब हम किसी भी नुक्सान के भय के बिना अपनी पूरी शक्तियों का उपयोग कर सकते हैं। कुछ नेगेटिव सोच वाले मित्र इसे किसके बाप की दिवाली जैसे अभद्र शब्द प्रयोग से अलंकृत करते हैं। यह बहुत गलत बात है। अगर मोदीजी और उनके समर्थक उन्हें गुजरात विरोधी कहते है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। मोदीजी के आने के बाद हरेक गुजरात वासी का जीवन गुजरातमय हो गया है। हम सभी लोग सभी कुछ गुजरात राष्ट्र के लिए ही करते है। हा जी , मोदिजी के सत्ता मे आने के बाद गुजरा राज्य नही पर एक राष्ट्र बन गया है।
अब अपने सांसद हरिन पाठकजी को ही लीजिये। आज के सभी मुख्य समाचार पत्र उनके विज्ञापन से भरे हुए हैं। अपने पाठकजी वैसे तो छोटी से छोटी बात के लिए प्रेस नोट दाग देने के लिए मशहूर हैं, पर इस बार उन्होंने उनके विश्वस्त राजू शेठ को ये काम नहीं सौंप कर मोदीजी का अनुकरण किया और अपने मित्र

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