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Wednesday, May 5, 2010

हमारे गुजराती केतन भाई

आजकल अपने स्वर्णिम गुजरात का नाम काफी चमक रहा है। एक तरफ मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदीजी उनकी मार्केटिंग प्रतिभा का पूरा उपयोग कर दुनिया को गुजरात की नंबर वन खासियते बता रहे है तो दूसरी ऑर नंबर वन गोटाले खुद ही बाहर आ रहे है। पर हमें तो केवल पोजीटिव ही देखना चाहिए, पोजीटिव ही सोचना चाहिए। पर क्या करे जब कोई चीज हथोडो की तरह हर पल हर क्षण दिमाग पर लग रही हो तो उसे तो नज़रंदाज़ कैसे किया जा सकता है ।
अब अपने मेडिकल कौंसिल वाले केतन देसाई को ही लो। करोडो अरबो रुपियो का गोटाला बाहर आ रहा है। किस तरह कोलेजो को मान्यता मिलाती थी, डिग्रिया बंटती थी । सब रोज अखबारों में आ रहा है। डाक्टरी जैसे पेशे को कैसे जड़ो में ही धंधा बनाया गया है उसकी जानकारी बाहर आ रही है। पर एक बात और नजर आ रही है। वो है गुजरात में केतन भाई के मुद्दे पर कही कोई राजनीतिक हलचल नहीं। बात बात पर केंद्र की खाट खडी कर देने वाले अपने साडे पांच करोड़ गुजरातियों के जन सेवक प्रतिनिधी नरेन्द्र मोदीजी मौन साधे हुए है। वो पत्रकारों से मिलते नहीं और अगर मिले तब भी किस की हिम्मत है की उनसे ऐसा सवाल पूछे ।
एक दो पत्रकारों ने सरकारी प्रवक्ता स्वास्थ्य मंत्री जय नारायण व्यास से जब पूछा तब उन्होंने सामने से सवाल किया । तुम क्या चाहते हो ? गुजरात का हित या अहित। कोई उनसे कैसे पूछे की केतन देसाई के बारे में प्रश्न से गुजरात का हित या अहित कैसे जुडा हुआ है। हां यह जरूर है की शायद स्वास्थ्य मंत्री व्यासजी का हित अहित हो सकता है।
उधर बात बात पर निवेदन ठोक देने वाले अपने कांग्रेसी भाई भी चुप है।
आखिरकार को अपने केतन भाई गुजराती है!

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