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Thursday, September 16, 2010

गुजरात में चुनावी मौसम

गुजरात में चुनावी मौसम आ गया है। पहले छः नगर निगमों के चुनावों की घोषणा हुआ थी और अब २४ जिला पंचायतों और अन्य स्थानिक स्वराज संस्थाओं के चुनावों की घोषणा हो गई है। नगर निगमों के चुनाव १० ओक्टोबर को होंगो और अन्य चुनाव २१ ओक्टोबर को।

नगर निगम के चुनावों की तारीख की तो अपेक्षा थी, पर पंचायत, तहसील और अन्य संस्थाओं के चुनाव थोड़े दूर थे। लगभग दो महीने पहले होंगे ये चुनाव। पिछले हफ्ते से हे कांग्रेस, भाजपा और अन्य दलों के मुख्यालयों पर टिकट मांगने वालों की लाइन लगनी शुरू हो गई थी। अब तो जिला जिला यही हाल होगा। केवल दो जिला पंचायतों और दो नगर निगमों को छोड़ सभी जगह चुनाव होने वाला है।

एक तरह से कहा जाय तो यह मोदी सरकार के लिए मध्याविधि चुनाव है। आज १७ सितम्बर को मोदीजी का जन्मदिन है। हमारे ज्योतिष प्रेमी मित्र इस काम में लगे हैं कि देखे ग्रहों की चाल मोदीजी को कहाँ ले जाती है। मोदीजी पिछले १० वर्षों से गुजरात की कुर्सी को इस बखूबी से पकडे हुआ हैं कि कोई उन्हें तो हटा नहीं पाया । हाँ अच्छे अच्छे दिग्गजों के राजनीतिक सितारे जरूर गर्दिश में आ गए।

शायद मोदीजी से ज्यादह अपने ये मित्र ज्योतिषियों के पास जाते हैं कि मोदीजी से कब छुटकारा मिलेगा! आज तक कोई भी ज्योतिषी मोदीजी के बारे सही नहीं निकला है । ज्यदाह्तर का कहना है कि सही समाया ही नहीं मालूम उन्हें। कुछ मित्र गुजरात की स्थापना के आधार पर मोदीजी का भविष्य जानने की कोशिस करते है। पर यह सब बंद कमरों में। किसकी हिम्मत है कि खुले में मोदीजी का भविष्य बता सके।

खैर अब सभी कक्काजी बन्ने का सपना ले पार्टियों के आला कमानों के चक्कर काट रहे हैं। दे दे बाबा देदे इस बार तो टिकट दे दे ।

जिस तरह से सोहराबुद्दीन मामले पर राजनीति हो रही है और सी बी आई की धुलाई हो रही है अपने भाजपाई मित्रो का मानना है कि मोदी का जादू इस बार भी चलेगा। यह तो मानना पडेगा कि अपने मोदीजी को चुनाव के समय मुद्दे खोजने नहीं जाना पड़ता। पिच्च्ले चुनावों में मौत की सौदागर का नारा उनके काम आया ठाट तो इस बार सोहराबुद्दीन हाजिर है। देखे चुनाव क्या रंग लाते हैं।

सोहराबुद्दीन कार्ड काम करता है या परिवर्तन का नियम। दीपावली से गुजराती नया वर्ष शुरू होता है। देखे यह नया वर्ष किसे कहा ले जाता है।

मोदीजी का बलून

पिछले हफ्ते हमारे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदीजी ने देश का पहला बलून उड़ा एक इतिहास रचा था। यह हम नहीं कहते है। अहमदाबाद मगर निगम और सरकारी प्रचार माध्यम कहते हैं । मोदीजी ने इस हीलियम बलून में उड़ कर अहमदाबाद की हवाई तस्वीरें भी खीची थी। और घोषणा भी की थी कि बच्चों को सुबह के समय रियायती दर पर बलून की सैर कराई जायेगी।
पर उस पहली उड़ान के बाद आज तक बलून उड़ा ही नहीं। कारण यह है कि नियमित उड़ान के लिए जरूरी व्यवस्था ही नहीं बनी थी। तब फिर हमारे लोकप्रिय मुख्यमंत्रीजी ने उड़ान भरने का खतरा क्यों उठाया ? अगले दिन नगरनिगम के चुनावों की घोषणा होनी वाली थी। साथ ही आचार संहिता लग जाने वाली थी। फोटो के साथ प्रचार माध्यमो में छा जाने का एक अवसर चला जाता !
अब ये बलून उड़ेगा भी या नहीं? अपने नगर निगम के आल्ला अफसर जन समस्याओं को टालने के जितने मौलिक तरीके जानते हैं उतने ही वो काम करने के तरीको से भी वाकिफ हैं। और जब बात मुख्यमंत्रीजी की हो तो रचनाशीलता का क्या कहना। अपने भाई लोगो का कहना है कि बलून कल से उड़ान भरेगा । इस कल का भी राज है। कल यानी सितम्बर १७ को हमारे मुख्यमंत्रीजी का जन्मदिन है।
देखा मुख्यमंत्रीजी ने बलून उड़ाया और जन्मदिन के दिन लोगो को उड़ाने को दिया ! बलून है । उड़ेगा। मोदीजी को प्रचार की नई उचाईयों तक ले जाएगा।
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