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Saturday, February 8, 2014

फार्म फी कमाई का जोरदार फंडा

मेरे भारत महान में से भले ही पिछली सदी की राशन की दुकान क बाहर की लाइने अब दिखलाई नहीं देती, पर कतारें तो अब भी लगी रहती हैं। स्कूलों के बाहर कतार का मौसम शुरू हो गया है। आज हमारे घर के सामने सेंट स्कूल में नर्सरी के दखले के लिए फार्म मिलने शुरू हुए।
रात से ही लम्बी लाईन शुरू हो गई थी। एक से पूछा कि माजरा क्या है? उसने बताया कि 30 बच्चे लेने हैं , केवल 500 लोग आवेदन कर सकते हैं। एक फार्म का दाम 100 रू। वो बोला साबरमती के इस स्कूल के फार्म के दाम सबसे कम हैं। कई स्कूल तो 500 और कुछ तो 700 और 1000 भी लेते हैं।
मुद्दा यह है कि फार्म के दाम का गणित क्या है? किस आधार पर फार्म का दाम निश्चित किया जाता है।
नौकरी के क्षेत्र में तो इससे भी बुरा हाल है। गुजरात सरकार ने हाल ही में तलाटी(तहसीलदार) की 1500 रिक्तियों के लिए विज्ञापन दिया। दो लाख लोगों ने फार्म भरे ।फार्म के लिए फीस केवल रू 200। इस प्रकार सरकार के पास कुल रू 4 करोड़ इकट्ठे हुए!

आप सोच सकते हैं कि 4करोड़ में तो कई तहसीलदारों की कई महिने की तनख्वाह निकल सकती है। हमारा मुद्दा तो यह है कि यह एक प्रकार का जरूरतमंदों का शोषण है और इसके विरुद्ध आम आदमी के पास कोई आवाज नही है। 

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