कुमार केतकर |
कुमारआजकल अपने कांग्रेसी मित्रों की हालत खस्ता
है। एक ओर निराशाजनक चुनावी परिणाम तो दूसरी ओर भाजपाईयों का आक्रमक प्रचार
प्रहार। किस तरह से इस शाब्दिक दंगल में खुद को बचाते हुए भाजपाईयों को परास्त
करें? आज
सबसे बड़ी जरुरत है कांग्रेसियों का मनोबल बढाने की। पर किसी को भी समझ
में नहीं आता कि यह कैसे करें।
अपने मुम्बई स्थित वरिष्ठ पत्रकार कुमार
केतकर ने अपने लेक्चर से यह काम किया। राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर अहमदाबाद में
आयोजित कार्यक्रम में उनका लेक्चर था। विषय था राजीव गांधी 25 वर्ष बाद। हालांकि
विषय राजीव गांधी था, वे पूरी कांग्रेसी विचारधारा और आज की
परिस्थिति पर बोले। जम कर बोले, तथ्यों के साथ बोले
व्यंग्यता शैली की छटा में बोले। सभास्थल तालियों से गूंजता रहा।
केतकरजी ने बताया कि किस प्रकार 1985 में
टेलीफोन विभाग को डाक विभाग से अलग कर राजीवजी ने संचार क्रांति की नींव डाली और
उसे आगे बढ़ाया। इसकी वजह से अमरीका में भारतीयों का बाजार बढ़ा। भारतीय आईटी
प्रोफेशनलों की अमरीकी बाजार में जो आज बोलबाला है उसका श्रेय राजीव गांधी को ही
जाता है।
यह बात अलग है कि आज यही अप्रवासी भारतीय
कांग्रेस और गांधी के दुश्मन बने हुए है। वे गांधी से अधिक गोडसे की प्रशंसा करते
हैं।
केतकरजी ने बताया कि जो कोकोकोला के विरोध
में प्रदर्शन करते थे वही आज विदेशी निवेश लाने के लिए जुटे हुए हैं। उसे वे अब
गर्व की बात कहते हैं।
उन्होने खचाखच भरे सभागृह में कांग्रेसियों
को भाजपाईयों का सामना करने के लिये काफी मसाला भी दिया।
डिजीटल इन्डिया के लिए केतकरजी के पास एक
अच्छा उदाहरण है। आज जिस तरह से छोटे बच्चे मोबाइल और कम्प्यूटर का उपयोग करते हैं
वह बतलाता है कि यह डिजीटल इन्डिया है। भाजपा और मोदी के डिजीटल इन्डिया के नारे
में केवल खोखलापन है।
मोदीजी की मन की बात के बारे में उन्होंने
गांधीजी के मौन की बात आगे रख दी। बोले उस जमाने में न तो इन्टरनेट था न ही
वॉट्सएप। गांधीजी केवल हिन्दी, गुजराती और अंग्रेजी ही जानते थे। फिर भी
हर भाषा के लोग उसके साथ जुड़े हुए थे। वे मौन रख उनके मन की बात लोगों तक
पहुंचाते थे।
आसाम में बांग्लादेशियों के विरोध के मुद्दे
पर उनका कहना है कि आरएसएस अखंड भारत चाहता है। अर्थात पाकिस्तान और बांग्लादेश
दोनों ही भारत में वापिस। फिर भाजपा बांग्लादेश का मुद्दा क्यों उठाती है।
आपात स्थिति का उल्लेख कर इन्दिरा गांधी को
तानाशाह कहा जाता है, और बदनाम किया जाता है। उन्होंने उस समय की
परिस्थिति को देखते हुए संविधान के प्रावधान का उपयोग कर आपातस्थिति की घोषणा की
थी। वह लोकतांत्रिक कदम था।
बोफोर्स के नाम पर राजीव गांधी को बदनाम करने
वाले आज यह कह रहे हैं कि बोफोर्स एक अच्छी गन है।उन्होने कुछ दिन पूर्व के मनोहर पारीकर के बयान
का उल्लेख किया।
मोदीजी की डिग्री के बारे में उन्होने एक नया
सुर्रा छोड़ा। उनकी डिग्री में कम्प्युटर का उपयोग उस जमाने में जब कम्प्युटर बाजार
में आया ही नहीं था।
आज जिस तरह से नेहरू के विचार और उनके नाम से
जुड़ी संस्थाओं पर आक्रमण किया जा रहा है, उसका उल्लेख करते हुए
केतकरजी का कहना है कि इस सबको नेहरू या गांधी परिवार की दृष्टि से मत देखो। यह सब
हमारे स्वतंत्रता संग्राम की विरासत को खत्म करने के लिए किया जा रहा है।
केतकरजी का संकेत स्पष्ट था। जिस प्रकार मोदी
विरोध को देश विरोध बताया जाता है उसी प्रकार से कांग्रेस विरोध, नेहरू
गांधी विरोध को देश की स्वतंत्रता का विरोध चित्रित करो।